Friday 8 May 2015

जानिए क्या होता है जीएसटी, समझें इसका पूरा गणित


गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) इस बजट में भी लागू नहीं हो पाएगा। हाल ही में वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ राज्यों के वित्त मंत्रियों के बीच हुई एक बैठक से यह बात साफ हो गई है, क्योंकि उनके बीच जीएसटी को लेकर कोई सहमति नहीं बन पाई है। आज हम आपको बता रहे हैं क्या होता है जीएसटी और क्यों नहीं होगा इस बार के बजट में पेश-

क्‍या है जीएसटी

गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) एक अप्रत्यक्ष कर है। जीएसटी के तहत वस्तुओं और सेवाओं पर एक समान कर लगाया जाता है। जहां जीएसटी की व्यवस्था लागू नहीं होती है वहां वस्तुओं और सेवाओं पर अलग-अलग कर लगाए जाते हैं जिनकी दरें भी अलग-अलग होती है। जहां तक भारत की बात है तो वर्ष 2006-07 के साथ आम बजट में पहली बार इसका जिक्र किया गया था।
जीएसटी लागू होने से फायदे

=> जीएसटी लागू होने से कई तरह के लाभ होंगे। अगर यह लागू हो गया तो कर का भुगतान कई बार नहीं करना पड़ेगा।

=> इससे कर की वसूली करते समय कर विभाग के अधिकारियों द्वारा कर में हेराफेरी की संभावना कम होगी।

=> एक ही व्यक्ति या संस्था पर कई बार टैक्स लगाने की जरूरत नहीं होगा, सिर्फ जीएसटी से ही सारे टैक्स वसूल कर लिए जाएंगे।

=> कुछ राज्यों के राजस्व में बढ़ोत्तरी होने की संभावना के साथ ही कुछ चीजों के दामों में भी कमी आ सकती है।

जीएसटी लागू होने से क्या है नुकसान

जीएसटी लागू होने से जो भी नुकसान होगा वह सिर्फ राज्यों को ही होगा। राज्यों में कई तरह के टैक्स वसूले जाते हैं, जो जीएसटी लागू होने के बाद नहीं वसूले जा सकेंगे। जीएसटी लागू होने से केंद्र को तो फायदा होगा, लेकिन राज्यों को नुकसान झेलना पड़ेगा। राज्य सरकारें जीएसटी लागू करने के बदले मुआवजा चाहती है और जीएसटी के वर्तमान मसौदे के कई प्रावधानों पर सहमत नहीं हैं। मुआवजा न मिलने की स्थिति में राज्य सरकारें चाहती हैं कि पेट्रोलियम और एंट्री टैक्स को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाए।

क्‍यों बजट में पेश नहीं होगा जीएसटी
=> राज्‍य सरकारें चाहती है कि‍ पेट्रोलि‍यम उत्‍पादों और एंट्री टैक्‍स को जीएसटी के दायरे से बाहर रखना चाहती हैं। ताकि‍ कर दरें तय करने का अधि‍कार उनके पास बना रहे।

=> राज्‍यों ने कहा है कि‍ जीएसटी लागू करने के बाद राजस्‍व घाटे की भरपाई के एवज में मुआवजा मि‍लता है तो आगे सहमति‍ बन सकती है।

=> वि‍त्‍त राज्‍य मंत्री नि‍र्मला सीतारमण ने कहा कि‍ ज्‍यादातर मामलों पर सहमति‍ बनी है लेकि‍न अब भी कई मुद्दों पर राज्‍यों ने एतराज जताया है।
राज्‍यों की तरफ से क्या कहा गया

पश्‍चि‍म बंगाल- पश्‍चि‍म बंगाल के वि‍त्‍त मंत्री अमि‍त मि‍त्रा ने कहा, ‘केंद्र को सीएसटी के चरणबद्ध तरीके से खत्‍म होने पर राज्‍स्‍व घाटे की भरपाई करनी होगी। केंद्र ने हमें भु्गतान के रूप में 3,600 करोड़ रुपए देने की बात कही थी, लेकि‍न अभी कुछ भी नहीं मि‍ला।’

हरि‍याणा- हरि‍याणा के वि‍त्‍त मंत्री हरमोहिंदर सिंह ने केंद्र सरकार से कहा है कि राज्‍य को सीएसटी मुआवजे के रूप में 4,150 करोड़ रुपए का भुगतान करना होगा।

मध्‍य प्रदेश- मध्‍य प्रदेश के वि‍त्‍त मंत्री ने कहा है कि‍ राज्‍य को साल 2010-11 से सीएसटी मुआवजा नहीं मि‍ल रहा है। उन्‍होंने कहा, ‘तीन साल से एमपी को सीएसटी मुआवजे के तहत सरकार की ओर से मि‍लने वाली 465 करोड़ रुपए की राशि‍ नहीं मि‍ल रही है।’

तमि‍लनाडु- तमि‍लनाडु ने जीएसटी के ढांचे पर अपनी चिंता जाहि‍र की है। तमि‍लनाडु नेट एक्‍पोटर है जहां बड़े पैमाने पर मैन्‍युफैक्‍चरिंग इंडस्‍ट्री है। प्रस्‍तावि‍त जीएसटी से राज्‍यों को बड़ी मात्रा में राजस्‍व नुकसान होगा।

असम- असम ने भी जीएसटी के कारण राजस्‍व नुकसान की बात कही है।

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