Friday 5 June 2015

मनी मैनेजमेंट: जरा संभाल कर


इन्वेस्टमेंट के बारे में सोचते हुए अकसर कुछ बातों को ध्यान रखा जाता है। पर स्थितियों के हिसाब से कभी-कभी इन बातों, धारणाओं को भी दरकिनार करना पडता है। आइए कुछ ऐसी ही स्थितियों पर नजर डालते हैं, जिनमें इन्वेस्टमेंट से जुडी धारणाएं सही साबित नहीं होतीं।

ऐसी जगह अपने फंड निवेश करें, जहां अच्छा रिटर्न मिले।

सिचुएशन : अगर आप रिटायरमेंट के बारे में सोच रहे हैं तो अधिक रिटर्न कमाने से ज्यादा जरूरी बचत है। मान लेते हैं कि आपकी सेलरी 20,000 रुपये मासिक है। ऐसे में आप शुरुआत में किसी बडी बचत या निवेश से पहले मासिक 1,000 रुपये का 12 महीने या 24 महीने के लिए रेकरिंग डिपॉजिट (आरडी) शुरू कर सकते हैं। लगभग साढे चार फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि ब्याज दर से आपको इस पर ब्याज मिलेगा। यानी एक साल की अवधि के बाद आपको लगभग 13 हजार रुपये मिलेंगे। आरडी की अवधि पूरी होने के बाद आप पूरी रकम को सावधि जमाखाता (एफडी) में पांच साल के लिए लगा सकते हैं। इस रकम पर आपको अच्छा ब्याज मिलेगा। रिटायरमेंट की प्लानिंग कर रहे हैं, इसलिए एक बात का हमेशा ध्यान रखें कि अपनी छोटी-छोटी बचत हमेशा बनाए रखें।

एक लॉन्ग टर्म जीवन बीमा पॉलिसी लें, इससे प्रीमियम कम हो जाएगा और पॉलिसी की लागत घट जाएगी।

सिचुएशन : कम उम्र में लॉन्ग टर्म जीवन बीमा पॉलिसी लेने से उसका फायदा आपकी रिटायरमेंट एज से पहले ही खत्म हो जाएगा। मान लेते हैं कि पहली स्थिति में आपने 25 वर्ष की उम्र में अपने लिए 30 साल अवधि वाली जीवन बीमा पॉलिसी ली है, जिसका प्रीमियम काफी कम है। पर पॉलिसी के फायदे उस वक्त खत्म हो जाएंगे, जब आपकी उम्र 55 साल की होगी। 55 साल की उम्र को देखते हुए आपकी नई पॉलिसी का सालाना प्रीमियम 10,000 रुपये से भी ज्यादा बनेगा। दूसरी स्थिति है, जिसमें अगर 25 साल में आप 10 साल अवधि वाली कोई एंडाउमेंट पॉलिसी लें तो इसका सालाना प्रीमियम लगभग 2,300 रुपये होगा। यह पॉलिसी आपके 35 साल के होने पर परिपक्व हो जाएगी। इसके बाद 30 साल की नई पॉलिसी के लिए सालाना प्रीमियम 4,200 रुपये तक बनेगा। इस तरह आप काफी पैसे बचा पाएंगे।

किराये के मकान में रहने से बढिया है कि मकान खरीद कर किराये की जगह उसकी ईएमआई दें और एक प्रॉपर्टी बना ली जाए।

सिचुएशन : जब रिअलिटी मार्केट में गरमागरमी हो और होम लोन रेट्स बहुत अधिक हों तो ऐसी स्थिति में किराये के मकान में रहना बेहतर है। मान लेते हैं कि आप 40 लाख रुपये का मकान खरीदना चाह रहे हैं। इसके लिए 10 लाख रुपये की डाउन पेमेंट के साथ आप 20 साल के लिए होम लोन लेंगे। 30 लाख रुपये के लोन पर 9 परसेंट ब्याज दर के साथ आपकी इक्वेटेड मंथली इंस्टॉलमेंट (ईएमआई) लगभग 26,992 रुपये बनेगी। यानी 27 हजार रुपये की मासिक किस्त पर 20 साल बाद ही वह घर आपका हो पाएगा। ऐसे में अगर आप 40 लाख रुपये के मकान में किराये पर रहते हैं तो आपका किराया लगभग 10 हजार रुपये होगा। अब मासिक किस्त और किराये के बीच का अंतर देखें तो वह 17 हजार रुपये प्रति माह है। अगर आप एक साल का इंतजार कर सकते हैं तो डाउन पेमेंट के 10 लाख रुपयों और हर महीने की 17 हजार रुपये की बचत को एक साल के लिए किसी सुरक्षित इन्वेस्टमेंट प्लान में लगा देते हैं। इस पर मिलने वाले ब्याज के साथ साल खत्म होने के बाद आप 14 लाख रुपये बचा पाएंगे। अब आप इस रकम को प्रॉपर्टी खरीदने में लगा सकते हैं। इससे आपकी ईएमआई भी कम हो जाएगी।

किसी कंपनी के बोनस शेयर जारी करने का मतलब है, कंपनी अच्छा प्रदर्शन कर रही है।

सिचुएशन : कई बार कंपनियां निवेशकों का भरोसा जीतने और मार्केट में अपने शेयर के प्रति रुझान बढाने के लिए मौजूदा शेयरधारकों को बोनस शेयर जारी करती हैं। लेकिन जरूरी नहीं कि हर बार यह सफल भी रहे। यहां समझने वाली बात यह है कि बोनस शेयर जारी करना कंपनियों के लिए सिर्फ एक अकाउंटिंग एक्सरसाइज है, जिसके तहत पूंजी को एक जगह से दूसरी जगह ट्रांस्फर किया जाता है। इसमें कंपनी अपने इकट्ठे किए हुए रिज‌र्व्स का इस्तेमाल मौजूदा शेयरधारकों को बोनस शेयर जारी करने और अपनी इक्विटी पूंजी को बढाने के लिए करती है। बोनस शेयर जारी करने का मतलब है शेयरधारकों को कंपनी में और हिस्सेदारी देना, दरअसल यह भी खेल ही है। इसे समझने के लिए आप सीधा हिसाब लगा सकते हैं। अपनी हिस्सेदारी को शेयरों की संख्या में न देख कर प्रतिशत में देखें। इस लिहाज से कंपनी में आपके पास पहले भी उतनी ही हिस्सेदारी थी, जितनी बोनस शेयर मिलने के बाद है। क्योंकि कंपनियां आपके मौजूदा शेयरों के अनुपात में ही नए बोनस शेयर जारी करती हैं। इसलिए शेयरधारकों को इससे कोई खास फायदा नहीं होता। पर अगर बोनस शेयर जारी करने के बाद कंपनी का प्रदर्शन बढिया रहता है और शेयर के भाव बढते हैं तो बोनस शेयर वाकई शेयरधारक के लिए मुनाफा हैं।

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