Monday 11 May 2015

किसके पास है कितना पैसा, स्कर्ट बताती थी देश के हालात


हेमलाइन इंडेक्स यानी स्कर्ट इंडेक्स... ये वो थ्योरी है जिसे कुछ समय पहले तक देश के आर्थिक हालात जानने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। थ्योरी के मुताबिक, जिस देश में लड़कियों की स्कर्ट छोटी होती है, वहां की इकोनॉमी उतनी ही मजबूत होती है। लंबी स्कर्ट वाले देश के हालात आर्थिक रूप से अच्छे नहीं होते। हालांकि, वैश्विक स्तर पर इस थ्योरी को अर्थशास्त्रियों ने नहीं माना। लेकिन, 1926 में अमेरिका के अर्थशास्त्री जॉर्ज टेलर इसी को मानते थे। उस वक्त लड़कियों की स्कर्ट से ही देश के पास कितना पैसा है ये पता लगाया जाता था।
क्‍या है हेमलाइन इंडेक्‍स
जॉर्ज टेलर की थ्योरी के मुताबि‍क, यह एक प्रकार से फ्रॉक एक्‍सचेंज है जहां स्‍कर्ट की लंबाई का इस्‍तेमाल देश की इकोनॉमी के सूचक के रूप में माना जाता है। इसका मतलब यह है कि‍ गि‍रते बाजार के साथ छोटी स्‍कर्ट का चलन भी घट जाता है। इसमें कहा गया कि‍ इकोनॉमी की हालत अच्‍छी होने पर महि‍लाएं छोटी स्‍कर्ट इसलि‍ए पहनी हैं ताकि‍ वह अपनी लग्‍जरी स्‍टॉकिंग्‍स दि‍खा सकें। इसके अलावा, छोटी स्‍कर्ट का चलन एक फैशल स्‍टेटस भी बन गया था।
मंदी के समय ऐसा फैशन काफी कमजोर हो जाता है यानी लोग आर्थिक दिक्कतों में इतने फंसे होते हैं कि उन्हें प्रोवोकेशन का वक्त ही नहीं मिल पाता। तो अमेरि‍का में यह माना जाता है कि बाजारों में अगर छोटी स्कर्ट की लड़कियां धीरे-धीरे कम नजर आने लगे तो समझ जाइए कि संकट की शुरुआत हो गई है।
1929 के बाद चर्चा में आया स्‍कर्ट इंडेक्‍स
1929 में जब वॉल स्‍ट्रीट में भारी गि‍रावट आने के बाद रातों-रात छोटी स्‍कर्ट का चलन बाजार से गायब हो गया। मंदी के दौरान बड़ी संख्‍या में बेरोजगारी दर्ज की गई जि‍ससे स्‍कर्ट फैशन से बाहर हो गई, जो स्‍कर्ट दि‍ख भी रही थीं उनकी लंबाई ज्‍यादा थी। 1939 में दूसरे वि‍श्‍व युद्ध के दौरान इकोनॉमी हालत खराब हो गई थी। उस वक्‍त लेगिंग्‍स के फैबरि‍क की कमी होने से स्‍कर्ट की लंबाई घुटने तक पहुंच गई।
1947 में क्रि‍स्‍टि‍ना डि‍नोर ने महंगे मैरि‍टि‍यल का इस्‍तेमाल कर फुल साइज स्‍कर्ट को पेश कि‍या। इसे सकारात्‍मक संकेत माना गया। हालांकि‍, 1950 के दौर में स्‍कर्ट का साइज छोटा होता गया। इसके साथ ही शेयर के दाम भी चढ़ने लगे।

फैशन के साथ स्‍टॉक प्राइस
लंदन में वि‍क्‍टोरि‍या एंड एर्ब्‍ट म्‍यूजि‍यम के फैशन अध्‍यक्ष सोनेट स्‍टैनफि‍ल के मुताबि‍क, 20वीं सदी के दौरान शेयर्स की कीमतों में तेजी आने के साथ-साथ स्‍कर्ट का साइज भी छोटा होता गया। उनके मुताबि‍क, यह दशक अर्थव्‍यवस्‍था के लि‍हाज से बेहद अच्‍छा था। महि‍लाओं ने भारी भरमक और लंबे कपड़ों का त्‍याग कि‍या और पहली बार प्रभावशाली ढंग से स्‍कर्ट का साइज छोटा हुआ। इसके साथ ही, सन 2000 में कंप्‍यूटर सि‍स्‍टम आने से नए दशक की शुरुआत हुई और मार्केट में तेज उछाल दर्ज कि‍या गया। मार्केट की तेजी का पीछा स्‍कर्ट ने भी कि‍या।


मॉडल्‍स की ड्रेस बनी इकोनॉमी की सिंबल
1960 के दशक में मैरी क्‍वांट की मि‍नि‍ स्‍कर्ट काफी प्रचलि‍त हुए जि‍से तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी का सूचक भी माना गया। वहीं, 1970 के दशक में महि‍लावाद पर हमला शुरू होने से स्‍कर्ट की लंबाई भी बढ़ने लगी और वह मार्केट से बाहर हो गईं। इसके बाद, 1980 में एक बार फि‍र शेयर बाजार में तेजी आने के बाद और 1990 में मंदी शुरू होने से पहले स्‍कर्ट का साइज छोटा हो लगा। 1990 में घरों की कीमतों में बढ़ने लगी थीं।

No comments:

Post a Comment