Thursday 16 April 2015

NetNeutrality कैंपेन में कूदी क्लीयरट्रिप, फेसबुक के Internet.org का साथ छोड़ा


     नई दिल्ली। नेट न्यूट्रैलिटी को बनाए रखने की मुहि को एक और कामयाबी मिल गई है। बुधवार को क्लीयर ट्रिप डॉट कॉम नेफेसबुक के प्लेटफार्म इंटरनेट डॉट ओरजी से अपना नाता तोड़ लिया है। कंपनी ने नेट न्यूट्रिलटी का हवाला देते हुए internet.org से अलग होने की घोषणा की है। इसके पहले मंगलवार को फ्लिपकार्ट ने इसी तरह भारतीय एयरटेल के साथ एयरटेल जीरो के लिए हुए एक्सक्लूसिव डील को तोड़ दिया था।
क्लीयर ट्रिप ने क्या कहा
डील को तोड़ने की घोषणा करते हुए क्लीयर ट्रिप ने कहा है कि कुछ हफ्ते पहले फेसबुक ने हमसे internet.org अभियान से जुड़ने का प्रस्ताव दिया था। इसमें कंपनी ने फेसबुक के साथ किसी भी तरह का रेवन्यू के संबंध में समझौता नहीं किया था। लेकिन हाल में जिस तरह से नेट न्यूट्रैलिटी को लेकर बहस छिड़ी , उसे देखते हुए हमें अपने फैसले पर दोबारा सोचने को मजबूर किया है। हमारा मानना है कि इंटरनेट फ्रीडम इनोवेशन के लिए बेहद जरूरी है। जिसे देखते हुए क्लीयर ट्रिप इस साझेदारी से अलग हो रही है।
जुकरबर्ग ने समझौते को बताया सही
नेट न्यूट्रैलिटी को लेकर छिड़ी बहस में फेसबुक के प्रमुख मार्क जुकरबर्ग भी कूद गए हैं। उन्होंने इसको लेकर हो रही आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा कि दोनों व्यवस्थाएं साथ में कायम रह सकती हैं। उन्होंने अपने internet.org प्रोग्राम को लेकर हो रही आलोचनाओं के जवाब में यह बात कही। इस प्रोग्राम को नेट न्यूट्रैलिटी के खिलाफ बताया जा रहा है। भारत में रिलायंस कम्युकेशंस (आरकॉम) इस प्रोग्राम के लिए फेसबुक की साझेदार है।
क्या है internet.org प्रोग्राम
internet.org एक फेसबुक की अगुआई वाली पहल है। फेसबुक के मुताबिक इसका लक्ष्य सैमसंग और क्वालकॉम जैसी दिग्गज टेक कंपनियों के साथ साझेदारी में 5 अरब लोगों को ऑनलाइन लाना है। फेसबुक ने internet.org के तहत 33 वेबसाइटों को मुफ्त इंटरनेट ऐक्सेस उपलब्ध कराने के लिए आरकॉम से समझौता किया है, जिससे कंपनी नेट न्यूट्रैलिटी की वकालत करने वालों के निशाने पर आ गई है। उनका कहना है कि इससे नेट न्यूट्रैलिटी के विचार का उल्लंघन होता है।
क्या है ‘नेट न्यूट्रैलिटी
जब कोई भी व्यक्ति किसी ऑपरेटर से डाटा पैक लेता है तो उसका अधिकार होता है कि वो नेट सर्फ करे या फिर स्काइप, वाइबर पर वॉइस या वीडियो कॉल करे, जिस पर एक ही दर से शुल्क लगता है। ये शुल्क इस बात पर निर्भर करता है कि उस व्यक्ति ने उस दौरान कितना डाटा इस्तेमाल किया है। यही नेट न्यूट्रैलिटी कहलाती है। लेकिन अगर नेट न्यूट्रैलिटी खत्म हुई तो इंटरनेट डाटा के मामले में आपको हर सुविधा के लिए अलग से भुगतान करना पड़ सकता है। इससे कंपनियों को तो फायदा होगा, लेकिन आम जनता के लिए इंटरनेट काफी महंगा हो जाएगा।

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